मध्य रात्रि से ठीक 15 मिनट पहले,,,,,,
अनजाने में ही कोई अपना अजनबी बन गया,
दिल का शटर डाउन काॅफी शाॅप में हो गया।
दिवार के पास वाली टेबल पर एक युगल कॉफी की चुस्कियां ले रहा था।
मंद प्रकाश शांत जल की भांति बह रहा था,
मैं भी दोस्तों के बीच बातें बना रहा था।
लड़कों की नजरें बार बार उस टेबल पर जाकर ठहर जाती।
धीमी आवाज में हर लड़के का था यही कहना,
वह उसका प्यार नहीं फेक है,
मैंने देखा उनकी टेबल में रखा केक है।
अब तक मैंने लड़की का चेहरा नहीं देख पाया,
दोस्तों ने कहा जोड़ा जन्म दिन मनाने है आया।
तभी मेरे दिल की तलहटी से पिछले बरश की तारीख उभर आई।
यादों को फिर दिल के तहखाने में कैद कर,
काॅफी की चुस्की लेते हुए खुद से सवाल किया?
काश मैं शक न करता उस पर,
वार दिया था सबकुछ जिस पर।
अब न जाने क्यों मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था,
शायद उस टेबल पर खुद की कल्पना कर रहा था।
तारीख, मैं और टेबल पर रखा केक,
सब कुछ तो है यहां,बस मेरा प्यार नहीं।
अचानक उस टेबल पर मोमबत्ती के प्रकाश ने अंधेरे को यूं दूर किया,
जैसे बाढ़ के पानी से किनारों पर पड़ा कचरा तेजी से बह जाता है।
हां,सच में ऐसा ही हुआ वहां,
जब उसका चेहरा दिखा मुझे,,,,,
तारीख, मैं, टेबल पर रखा केक और वो सब कुछ था यहां, बस मेरा प्यार नहीं।
ये किसी और का प्यार है, मेरा प्यार तो दिल में दफन है।
दिल का शटर डाउन हो गया,
काॅफी शाॅप का भी वक़्त हो चला।
By KeshavDehariya
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Nice
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Bahut hi pyari abhivyakti
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छा गये गुरू..
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🙏🙏
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bahut hi shandaar bhai mast
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Thank you bhaisaab
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Isse best abhi to nhi padha teri Kalam se..👌👌👌👌
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Thank you bhai …or bhi bohot kuch h …kalam to abhi chlna sikhi h
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